12 फरवरी को माघी पूर्णिमा के पावन अवसर पर राजिम कुंभ कल्प का शुभारंभ होगा और 26 फरवरी महाशिवरात्रि को इसका समापन होगा। राजिम कुंभ कल्प पैरी, महानदी और सोंढूर नदी के संगम पर आयोजित होगा।
12 फरवरी
राजिम को छत्तीसगढ़ का प्रयाग मानते हैं, यहाँ पैरी नदी, सोंढुर नदी और महानदी का संगम है। संगम में अस्थि विसर्जन तथा संगम किनारे पिंडदान, श्राद्ध एवं तर्पण किया जाता है।
कुलेश्वर मंदिर छत्तीसगढ़ राज्य के गरियाबंद जिले में राजिम नगर में स्थित है। यह स्मारक छत्तीसगढ़ राज्य द्वारा संरक्षित है।
राजिम को छत्तीसगढ़ का “प्रयाग” भी कहा जाता है क्योंकि तीन नदियों महानदी, पैरी और सोंदुर का पवित्र संगम, जिसे त्रिवेणी संगम कहा जाता है, राजिम में है।
छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के राजिम शहर में स्थित रामचंद्र मंदिर, भगवान विष्णु को समर्पित है और इसका ऐतिहासिक और स्थापत्य महत्व है। ऐतिहासिक संदर्भ: मंदिर का निर्माण 16वीं शताब्दी में रायपुर के एक प्रसिद्ध बैंकर और व्यापारी गोविंद लाल ने किया था।
इस स्थान का प्राचीन नाम कमलक्षेत्र है। ऐसी मान्यता है कि सृष्टि के आरम्भ में भगवान विष्णु के नाभि से निकला कमल यहीं पर स्थित था और ब्रह्मा जी ने यहीं से सृष्टि की रचना की थी। इसीलिये इसका नाम कमलक्षेत्र पड़ा। राजिम को छत्तीसगढ़ का प्रयाग मानते हैं, यहाँ पैरी नदी, सोंढुर नदी और महानदी का संगम है।
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